Tuesday 1 July 2014

why do I write ?: Dabang sey dabboo tak..

why do I write ?: Dabang sey dabboo tak..: उम्र जैसे बीत गयी है एक पहेली के पीछे न जाने कितने पड़ाव आये जब दिल और दिमाग द्वंद्व करते रहे मगर सुकून नहीं मिल पाया .ज़िन्दगी में खुश रहने ...

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